भारत मे पारसी और उनसे जुड़े रोचक तथ्य
Interesting Facts about Parsis in India
आज दुनिया की सबसे शानदार कोम पारसी की बात करेगे। हमारी फिल्मों में इन्हे कॉमेडी टाइप में दिखाया जाता है। एक बुड्ढा होता है, जिसको अपनी कार से बहुत प्यार होता है लेकिन इनकी वास्तविक हकीकत क्या है यह कितने महान लोग हैं।
भारत देश में पारसीयो की संख्या है मात्र 57000, कुल आबादी का 0.004%। लेकिन देश के विकास में इनका योगदान बहुत ही बड़ा है यह दुनिया की सबसे शांतिपूर्ण और सकारात्मक कोम हैं। किसी पारसी ने किसी का खून किया हो ऐसी घटना सबसे लास्ट में सबसे अंतिम बार 1975 मे हुई थी। यानी ये लोग बिल्कुल अपराध नहीं करते, बहुत ही शांतिप्रिय होते हैं।
इनके गुरु अशोक जरथुस्त्र थे । कहा जाता है जो दुनिया के पहले व्यक्ति थे जो हंसते हुए पैदा हुए थे, तो वही उनके गुरु के लक्षण और आदेश उनके जीवन में उतर आए और उनके गुरु ने उसे कहा था कि, हर व्यक्ति को धन कमाना चाहिए वह भी भरपूर धन, धन से आपको नफरत नहीं करनी चाइये। धन नहीं होगा तो आप जीवन में कोई विकास नहीं कर सकते। यानी अगर आपको धर्म को भी बनाए रखना है तो भी आपको पैसे तो चाहिए।
पारसी लोग हमारे देश में आकर कैसे बसे और यह इतने महान और सफल कसे बने ?
आज से 1200 साल पहले ईरान देश में पर्शिया में जिसे ईरान कहा जाता हैं वहां पर इन्होने कुछ लोगों को शरण दी और यह उन की सबसे बड़ी भूल थी और उन पारसीयो के पवित्र स्थलों को नष्ट करना शुरू किया और शरणार्थियों ने इनका जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करना शुरू किया। उस समय कुछ पारसी अपना धर्म को, अपनी संस्कृति को बचाने के लिए जहाज में निकले। दुनिया के कई देशमे गए लकिन उन्हे शरण कही नहीं मिली।
उनके मुखिया ने कहा एक देश है भारत वह हमें अवश्य शरण देगा। तो पारसियों का जहाज 1200 साल पहले गुजरात के कांडला बंदरगाह पर आये। उस समय गुजरात मे राजा जाधव राणा का शासन था। पारसीयो के मुखिया ने राजा से विनती की महाराज हमें शरण दीजिए, तो इस पर महाराज ने विनम्र तरीके से कहा और उन्होंने दूध से बना हुआ प्याला उन मुखिया के सामने प्रस्तुत किया।
जिसका मतलब था कि, हमारे राज्य में पहले ही बहुत ज्यादा जनसंख्या है माफ करना हम आपका समावेश नहीं कर सकते, हम आपको शर्म नहीं दे सकते। तो पारसीयो मुखिया ने उसमे मुट्ठीभर शक्कर दूध में डाल दी इसका सीधा मतलब था कि, हम आपके राज्य में आप के लोगों में उसी तरह से घुल-मिल जाएंगे जिस तरह से दूध में शक्कर। इतना ही नहीं हम आपके समाज को सम्ब्रध बनाएंगे।
मुखिया के जवाब से प्रसन्न हुए राजा जाधव राणा ने पारसीयो को गुजरात में रहने की अनुमति दी थी और सबसे बड़ी बात यह उस मुखिया ने राजा से कहा की, महाराज हम अपने साथ पवित्र अग्नि लेकर के आए हैं और हमारी आप से विनती है कि, जहां हम इस अग्नि को स्थापित करेंगे उसके आसपास के 5 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई अन्य धर्म के व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
देश भारत, हमारा देश, पारसी प्रशिक्षणार्थी फिर भी उन्होंने ऐसी मांग की। इस पर राजा ने कहा ठीक है मैं आपकी संस्कृति और धर्म का सम्मान करता हूं और आपके पवित्र स्थल पर अन्य कोई धर्म का व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा। इस तरह भारत में पारसी आकर रहे और उन्होंने भारत को समृद्ध बनाया।
पारसीयो के जीवन का सिद्धांत है खूब धन कमाना और सिर्फ समाज के कल्याण के लिए खर्च करना। इस सिद्धांत का पूरी तरह से पालन करता है टाटा ग्रुप। आपको जानकर आश्चर्य कि, भारत का सबसे धनवान बिजनेस ग्रुप रिलायंस नहीं बल्कि टाटा ग्रुप हैं क्योंकि वह अपनी आय का 67% दान करते हैं। रतनटाटा गुजरात के एक शहर से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक स्कूटर पर पति पत्नी और उनके दो बच्चे बैठकर जा रहे थे काफी दुखद अवस्था थी। रतनटाटा को काफी दुख हुआ उन्होंने निश्चय किया कि, मैं एक ऐसी कार बनाऊंगा जिसे हर व्यक्ति ले सके ताकि कोई भी फैमिली इस तरह से रिस्क लेकर के यात्रा ना करें और उन्होंने नैनो कार बनाई।
जब पूरा देश कोरोना की महामारी से लड़ रहा था तो रतन टाटा ने कहा कि, इस देश के लोगों की जान बचाने के लिए मैं पूरी संपत्ति देने को तैयार हूं। रतन टाटा की समर्पण को देखते हुए भारतवासियों ने रतन टाटा के लिए भारत रत्न की मांग की।उन्होने कहा मैं भारत देश का एक सामान्य नागरिक हूं, मेरे लिए यही बहुत बड़ी सम्मान की बात है मैं भारत रत्न का हकदार नहीं हूं।
दूसरे व्यक्ति डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा, जिन्हें भारतीय परमाणु विज्ञान का पिता कहा जाता हैं। उन्होने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से फिजिक्स मे P.H.D की। उनका सपना था की परमाणु ऊर्जा के सदुपयोग से पृथ्वी को एक बेहतर स्थान बनाना था। उन का मानना था की परमाणु ऊर्जा में कोई बुराई नहीं है कोई ऊर्जा बुरी नहीं होती, बुरा होता है उसका दुरुपयोग। उनके इसी महान विचार को ध्यान में रखते 1955 में यूएन की “पीसफुल यूज़ ऑफ एटॉमिक एनर्जी कॉन्फ्रेंस” का उन्हें प्रेसिडेंट बनाया गया। वो जानते थे की, भारत में यूरेनियम की कमी है तो उन्होंने यूरेनियम के बदले थोरीयम का परमाणु ऊर्जा में उपयोग करने का निश्चय किया और उन्होंने परमाणु ऊर्जा में भारत को समृद्ध बनाया। उन्होंने “टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च” की स्थापना की। जिसके दम पर आज भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है।
एक और महान इंसान जिनका नाम फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, अपने पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर इंडियन मिलिट्री एकेडमी की परीक्षा दी और वे वहां पर एक ऑफिसर बने उन्हें 40 वर्षों के करियर में पांच बड़ी लड़ाइयां लड़ी। 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी ने उनसे पाकिस्तान पर हमला करने के लिए कहा तो उन्होंने उत्तर मे कहा कि, “मेरी और आपकी दोनों की नाक लंबी है तो बेहतर होगा कि आप मेरे मामले में नाक ना डालें और मैं आपके मामले में नाक नहीं डालूंगा” और उन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया।
किसी ने उनसे पूछा कि, बंटवारे के समय उनके पिता पाकिस्तान जाना चाहते थे मगर वो भारत में रुके। किसी ने कहा कि, यदि आप पाकिस्तान की ओर से लड़ते हैं तो क्या होता ? तो इस पर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने हसते हुये उत्तर दिया कि, “जो रिजल्ट था वो पूरा उल्टा हो जाता” ।सैम मानेकशॉ ने आर्मी की ट्रेनिंग को अपडेट किया और भारत की सेना को ताकतवर बनाया।
अभी पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जुझ रही है, सबसे बड़े वैक्सीन इंस्टीट्यूट सीरम की स्थापना करने वाला कोई और नहीं बल्कि पारसी है जिनका नाम डॉक्टर साइरस पूनावाला। भारत देश वैक्सीन को विदेशों से आयात करता है तो उन्होने निश्चय किया की भारत देश में ही वैक्सीन बनाना चाहिए। तो उन्होंने “सीरम इंस्टिट्यूट” की स्थापना की। स्वाइन फ्लू, कोरोना की वैक्सीन की खोज करके मानवता की बहुत बड़ी सेवा की।
जब भारत गुलाम हुआ करता था मुंबई की एक होटल में एक फिल्म के प्रमोशन मे जमशेदजी टाटा को भी आमंत्रित किया गया। वहां होटल के बाहर एक बोर्ड लगा था जिसपर लिखा था, डॉग एंड इंडियन आर नॉट अलाउड। इस को देखकर जमशेदजी टाटा को काफी दुख हुआ, उन्होंने निश्चय किया कि मुंबई में शानदार होटल बनाएंगे और उन्होंने समुद्र के सामने ताज होटल बनाया और अंग्रेजों को जवाब दिया। यही नहीं उन्होने “टाटा स्टील कंपनी” की स्थापना की और भारत को समृद्ध बनाया। सबसे पहली एयरलाइन टाटा ने ही स्थापित की थी जिसे डाटा एयरलाइन कहते थे।
पारसीयो के योगदान की सूची बहुत लंबी है हिलसा, गोदरेज, वाडिया फैमिली। अंग्रेज़ जब भारत आए तो उन्होंने देखा कि भारत के बने हुए पानी के जहाज उनके जहाज से भी काफी ज्यादा शानदार है। उन्होंने देखा कि, बढ़िया फैमिली समुद्री जहाज बनाने में काफी कुशल थी और उन्होंने उनको जहाज बनाने का कांटेक्ट दिया।
पारसीयो से जुड़े कुछ मुख्य तथ्य :
- पारसी धर्म में अंतिम संस्कार कैसे होता है ?
पारसी समुदाय में मृत शवों को न ही जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है, बल्कि उन शवों की चील, कौओं और अन्य पशु-पक्षियों के लिए आहार स्वरूप छोड़ दिया जाता है।
- पारसीयो की जनसंख्या कम क्यो हो रही हैं ?
पारसी समुदाय का रहन-सहन अंग्रेजियत से भरपूर है लेकिन अपने धार्मिक प्रतिबंधों और जीवनशैली की वजह से वे अपनी संख्या में वृद्धि नहीं कर पाए। एक तो विवाह उनकी अनिवार्यता में शुमार नहीं रह गया है।
- क्या पारसियों में धर्म-परिवर्तन स्वीकार्य हैं?
पारसियों में धर्म-परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है। कोई हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई बन सकता है लेकिन पारसी नहीं बन सकता। पारसी जन्म से ही हो सकता है।
- पारसी धर्म के संस्थापक कौन थे ?
पारसी धर्म (जरथुस्त्र धर्म) विश्व का अत्यन्त प्राचीन धर्म है। इस धर्म की स्थापना सन्त ज़रथुष्ट्र ने की थी।
- पारसी धर्म के त्यौहार कौन-कौन से हैं ?
पहला: नौरोज़, दूसरा: खोरदादसाल, तीसरा: जरथुस्त्रनो, चौथा: गहम्बर्स, पांचवा: फ्रावार देगन, छठा: पपेटी, सातवां: जमशोद नौरोज़।