स्वामी विवेकानंद का दर्शन आज भी प्रासंगिक

उनके शब्द बीथोवन के संगीत की तरह हैं जिनमें एक लय है। भारतीय संस्कृति और दर्शन विवेकानंद जैसे महामनीषियों के जीवन और दर्शन से ही गौरवमयी हुई है।

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स्वामी विवेकानंद का दर्शन आज भी प्रासंगिक है | Philosophy and Morals of Swami Vivekanand are still relevant
स्वामी विवेकानंद का दर्शन आज भी प्रासंगिक है | Philosophy and Morals of Swami Vivekanand are still relevant

स्वामी विवेकानंद का दर्शन आज भी प्रासंगिक है
Philosophy and Morals of Swami Vivekanand are still relevant


रोमा रोलां, महात्मा गांधी, अरविंद घोष, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान विभूतियों के जीवन और दर्शन को प्रभावित करने वाले विवेकानंद का दर्शन, अध्यात्म और नैतिक शिक्षा आज भी प्रासंगिक है। ‘‘पॉलिटिकल फिलासॉफी ऑफ स्वामी विवेकनंद’ किताब की लेखिका कल्पना महापात्रा के अनुसार, ‘‘विवेकानंद के दर्शन में स्वतंत्रता और सामाजिक उत्थान का भाव है। उनका जीवन और विचार भारत के लोगों को सांस्कृतिक सम्मान, चिंतन और प्रगति के लिए प्रेरित करते हैं। एक सच्चे आध्यात्मवादी की तरह उन्होंने अध्यात्म के संदेश दिये।’’ सांसारिकता और भौतिकता से दूर सत्य की तलाश में जीवन बिताने वाले विवेकानंद का जीवन आज की वर्तमान पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से दर्शनशास्त्र में परास्नातक और वर्तमान में शोध छात्र दीपक सिन्हा ने कहा, ‘‘विवेकानंद का दर्शन और उनके संदेश में गहरा अध्यात्म छिपा है। विवेकानंद का पूरा जीवन और शिक्षा सही दिशा में जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। कर्मयोग के उनके संदेश कर्म को ईश्वर के रूप में देखने की प्रेरणा देते हैं।’’ ‘‘विवेकानंद ने सर्व धर्म सम्भाव और शांति एवं भाईचारे का संदेश दिया वो हर युग में प्रासंगिक रहेगा।’’

12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्मे विवेकानंद को उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस ने ‘अद्वैत वेदांत’ की शिक्षा दी। रामकृष्ण के सानिध्य में रहकर ही विवेकानंद को सत्य का ज्ञान हुआ। रामकृष्ण को गुरू बनाने में विवेकानंद को समय लगा लेकिन जब उन्होंने रामकृष्ण को गुरू के रूप में स्वीकारा तो पूरे तन और मन से उनके प्रति पूर्ण समर्पण किया। रामकृष्ण के सानिध्य में विवेकानंद मानसिक उथल पुथल से भरे एक अधीर युवक से एक परिपक्व पुरूष बन गये, जिसके जीवन का एकमात्र उद्देश्य अब सिर्फ परमेश्वर के बारे में जानना और जीवन के अर्थ को समझना था।

फ्रांसीसी लेखक और दार्शनिक रोमा रोलां ने विवेकानंद की जीवनी ‘द लाइफ ऑफ विवेकानंद’ में लिखा है, ‘‘उनके शब्द बीथोवन के संगीत की तरह हैं जिनमें एक लय है। भारतीय संस्कृति और दर्शन विवेकानंद जैसे महामनीषियों के जीवन और दर्शन से ही गौरवमयी हुई है।’’ विवेकानंद पर उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस के अलावा आदि शंकर, रामानुज और ईसा मसीह का भी प्रभाव पड़ा। 1888 में वह देश के अलग अलग हिस्सों की यात्रा पर निकले। वाराणसी, इलाहाबाद, रिषिकेश, नैनीताल होते हुए 1892 में वह कन्याकुमारी पहुंचे। वहां एक चट्टान पर ध्यान किया जहां बाद में उनकी याद में विवेकानंद रॉक मेमोरियल स्थापित किया गया।

1893 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में अपने संबोधन से उन्होंने विश्व भर में अपने दर्शन और भारतीय संस्कृति को पहचान दिलायी। इस सम्मेलन के बाद अमेरिका के न्यूयार्क टाइम्स ने उनके बारे में लिखा, ‘‘कई धर्मों की जन्मभूमि भारत का विवेकानंद ने सही प्रतिनिधित्व किया जिससे यहां बैठे श्रोता बहुत आनंदित हुए। वह यहां सर्वश्रेष्ठ वक्ता रहे।’’ अरविंद घोष ने विवेकानंद के लिए कहा था, ‘‘विवेकानंद रचनात्मक उर्जा का प्रतीक थे। उनकी आत्मा हमेशा मातृभूमि भारत और उसके बच्चों की आत्मा के साथ जुड़ी रहेगी।


स्वामी विवेकानन्द के विचार (Important quotes from Swami Vivekanand)

  1. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते हैं तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। – स्वामी विवेकानंद

2- यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद

3- उठो, जागो और लक्ष्य पूरा होने तक मत रुको। – स्वामी विवेकानंद

4- एक रास्ता खोजो। उस पर विचार करो। उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो। उसका सपना देखो, उस विचार पर जियो। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दो। और किसी अन्य विचार को जगह मत दो। सफलता का यही रास्ता है। – स्वामी विवेकानंद

5- आप जोखिम लेने से भयभीत न हो, यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व करते है, और यदि हारते है , तो आप दुसरो का मार्दर्शन कर सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद

6- यही आप खुद को कमजोर समझते है तो यह सबसे बड़ा पाप है। – स्वामी विवेकानंद

7- शक्ति जीवन है तो निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है तो संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है तो द्वेष मृत्यु है। – स्वामी विवेकानंद

8- अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे। – स्वामी विवेकानंद

9- अपने आप को विस्तार आपको अपने अंदर से करना होगा। तुम्हें कोई नहीं सिखा सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। कोई दूसरा शिक्षक नहीं है बल्कि आपकी अपनी आत्मा है। – स्वामी विवेकानंद

10- यदि हम ईश्वर को अपने हृदय में और प्रत्येक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते, तो हम खोजने कहां जा सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद

11- जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मज़बूत हैं। – स्वामी विवेकानंद

12- दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं। – स्वामी विवेकानंद

13- जिस क्षण से मैंने प्रत्येक मानव शरीर के मंदिर में भगवान को बैठे हुए महसूस किया है, उस क्षण से मैं प्रत्येक मनुष्य के सामने श्रद्धा से खड़ा हूं और उसमें भगवान को देख रहा हूं – उस क्षण मैं बंधन से मुक्त हो जाता हूं, वह सब कुछ जो गायब हो जाता है, और मैं मुक्त हूं। – स्वामी विवेकानंद

14- हम जैसा सोचते हैं बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी ही है, हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। सम्पूर्ण संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है तो चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की। – स्वामी विवेकानंद

15- ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है। – स्वामी विवेकानंद

16- अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो। – स्वामी विवेकानंद

17- कुछ भी ऐसा जो आपको शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनता हो, उसे ज़हर सामान मानकर नकार देना चाहियें। – स्वामी विवेकानंद

18- समय का पाबंद होना, लोगों पर आपके विश्वास को बढ़ाता है। – स्वामी विवेकानंद

19- धन्य हैं वह लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं। – स्वामी विवेकानंद

20- जब कोई विचार विशेष रूप से हमारे मन पर कब्जा कर लेता है, तो यह वास्तविक, भौतिक या मानसिक स्थिति में बदल जाता है। – स्वामी विवेकानंद

21- पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता, यह तीनों सफलता के लिए परम आवश्यक हैं। – स्वामी विवेकानंद

22- महान कार्य के लिए महान त्याग करने पड़ते हैं। – स्वामी विवेकानंद

23- यह कभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। यदि पाप है, तो यह एकमात्र पाप है, यह कहना कि आप कमजोर हैं, या अन्य कमजोर हैं। – स्वामी विवेकानंद

24- हमारा कर्तव्य है कि हम सभी को अपने उच्चतम विचार को जीने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करें, और साथ ही आदर्श को सत्य के जितना संभव हो सके बनाने के लिए प्रयास करें। – स्वामी विवेकानंद

25- मैंने भगवान से शक्ति मांगी उसने मुझे मुश्किल हालात में डाल दिया। – स्वामी विवेकानंद

26- बार बार परमेश्वर का नाम लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। जो व्यक्ति सत्यकर्म करता है वही धार्मिक है। – स्वामी विवेकानंद

27- जब आप व्यस्त होते हैं तो सब कुछ आसान सा लगता है परन्तु आलसी होने पर कुछ भी आसान नहीं लगता है। – स्वामी विवेकानंद

28- सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए। – स्वामी विवेकानंद

29- जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं। – स्वामी विवेकानंद

30- बड़ी योजना की प्राप्ति के लिए, कभी भी ऊंची छलांग मत लगाओ। धीरे धीरे शुरू करो, अपनी ज़मीन बनाये रखो और आगे बढ़ते रहो। – स्वामी विवेकानंद

31- संघर्ष करना जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी। – स्वामी विवेकानंद

32- खुद को कमजोर मान लेता बहुत बड़ा पाप है। – स्वामी विवेकानंद

33- यही आप मुझको पसंद करते हो तो, मैं आपके दिल में हूँ। यदि आप मुझसे नफरत करते हो , तो मैं आपके मन में हूँ। – स्वामी विवेकानंद

34- यदि आपके लक्ष्य मार्ग पर कोई समस्या न आये तो आप यह सुनिश्चित करले कि आप गलत रास्ते में जा रहे हैं। – स्वामी विवेकानंद

35- दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे। – स्वामी विवेकानंद

36- मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है। – स्वामी विवेकानंद

37- जो व्यक्ति गरीबों और असहाय के लिए रोता है, वही महान आत्मा है, अन्यथा वो दुरात्मा है। – स्वामी विवेकानंद

38- चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो। – स्वामी विवेकानंद

39- संभव की सीमा को जानने का सबसे उत्तम तरीका है असंभव की सीमा से आगे निकल जाओ। – स्वामी विवेकानंद

40- हजारों ठोकरें खाने के बाद ही एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। – स्वामी विवेकानंद