गंगूबाई काठियावाड़ी: कोठे से नेहरू तक
Gangubai Kathiawadi: From Brothel To PM Nehru
जिस शख्सियत की हम आज बात करेंगे जो 16 साल की उम्र में बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के लिए घर से भाग गई थी, लेकिन हालातों ने इन्हें प्रॉस्टिट्यूशन में धकेल दिया। ये जिद्दी और खुद के हक के लिए लड़ने वाली शुरुआत से ही थी और इनका यही नेचर प्रॉस्टिट्यूशन (वेश्यावृत्ति) में भी रहा। प्रॉस्टिट्यूट्स की ये देवी कहलाने लगी और इन्हें बाकी की प्रॉस्टिट्यूट्स मां कहकर बुलाती थी।
फिल्मों के पोस्टर्स पर उनकी फोटो नहीं छप पाई, लेकिन मुम्बई के कमाठीपुरा के हर एक कोठे के कमरे में इनकी फोटो जरूर है। जहां तक बात है फिल्मों की तो अब तो इनकी लाइफ पर ही फिल्म बन रही है, एक बड़ा बैनर बना रहा है, और बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने इनकी लाइफ पर बनी इस फिल्म में इनका किरदार निभाया है।
गंगूबाई काठियावाड़ी की लाइफ से जुड़ी बातें जो आपने शायद ही सुनी होंगी। कब गंगूबाई काठियावाड़ी घर से भागकर मुम्बई आई, क्यों एक्ट्रेस की जगह गंगूबाई बन गई कोठे वाली और कैसे गंगूबाई काशीबाई बनीं, जिसने पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात की और जिसके पास खुद की एक बेंटले कार थी।
गंगूबाई काठियावाड़ का असल नाम गंगा जीवन दास काठियावाड़ था जो काठियावाड़ में अपने परिवार के साथ रहा करती थी। इनके परिवार में सभी लोग बहुत पढ़े लिखे थे। इनकी पारिवारिक रिश्तेदारी काठियावाड़ ही परिवार से भी थी। इनका परिवार काठियावाड़ की एक नामी परिवार था, और इन के परिवार मे लड़कियों की शिक्षा पर भी बहुत ध्यान दिया जाता था। उस समय हमारे देश में लड़कियों की शिक्षा एक विरल बात थी, लेकिन गंगू की सोच उनकी फैमिली से बिल्कुल अलग थी। धीरे-धीरे मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की लाइफ उन्हें बहुत आकर्षित करने लगी।
इसी दौरान गंगू के पिता के पास एक क्लर्क काम करने आया जिसका रमणीकलाल नाम था, पता चला कि रमणीकलाल कुछ समय मुम्बई में रहकर आया हुआ है और शहर को अच्छे से जानता है। यही कारण था की गंगू कई बार अपने बंगले की बाउंड्री में बने छोटे से ऑफिस में जहां रमणीकलाल बैठता था, वहां पर उसे चाय देने के बहाने मुम्बई की बातें करती थी।
कुछ समय बाद गंगा को ये भी पता चला कि रमणीकलाल के फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी संपर्क है। दोनों की बातें ज्यादा होने लगी और ये बातें प्यार में बदल गई। गंगू को पता था कि उनकी फैमिली उनके फिल्म इंडस्ट्री वाले डिसीजन को कभी सपोर्ट नहीं करेगी और इधर रमणीक लाल ने कह दिया था कि मेरे कॉन्टैक्ट से मैं तुम्हें फिल्म इंडस्ट्री में काम दिलवा दूंगा। साथ ही वो रमणीक से प्यार भी करने लगी थी। यही कारण था कि दोनों ने भागने का फैसला किया लेकिन गंगू की फैमिली वैल्यूज उन्हें अलाऊ नहीं कर रही थी, कि बिना शादी के वो किसी अनजान आदमी के साथ भाग जाए। यही कारण है कि भागने से एक दिन पहले दोनों ने काठियावाड़ में ही एक मंदिर में शादी कर ली। रमणीक ने गंगू को अपने घर से कुछ पैसे, जेवर और कपड़े लाने को कहा था। गंगू ने वैसा ही किया। एक पोटली में ये सभी चीजें ली और रमणीक लाल के साथ अहमदाबाद से ट्रेन में बैठ गई।
मुम्बई आने के बाद गंगू और रमणीक लाल ने एक लॉज में रूम लिया। कुछ दिनों तक दोनों साथ रहे। जब तक गंगू के जो पैसे वो अपने घर से लाई थी, वो रहे, तब तक रहने रमणीक और गंगू ने काफी मजे किए। लेकिन जैसे ही पैसे खत्म होने आए तब रमणीक ने गंगू को एक आंटी से मिलवाया। शीला नाम की ये महिला थी, जिसको रमणीक ने बताया कि उनकी मौसी है और गंगू को कहा कि, तुम कुछ दिनों के लिए मेरी मौसी के घर जाओ, तब तक मैं किराए पर कमरा ढूंढता हूं। और फिर हम एक दो दिन में वहां पर शिफ्ट हो जाएंगे। ये कहकर रमणीक ने गंगू को शीला के साथ कार में बिठाया और अलविदा कर दिया। शीला वहां से गंगू को जिस जगह पर लेकर गई वो जगह देखने में बहुत अजीब थी। आधी नंगी लड़कियां वहां पर घूम रही थी, और हर कोई खिड़की और पिंजरों में से झांक रही थी। सबसे बड़ी अजीब बात उसे ये लगी की वहां पर उस मोहल्ले में जितनी भी लड़कियां थी वो सब शीला को जानती थी। गंगू को अजीब भी लगा। उसने कुछ सवाल भी पूछे लेकिन शीला ने इन सवालों को इग्नोर किया। शीला गंगू को बिल्डिंग के कमरे में लेकर गई जहां पर शीला ने गंगू को तैयार होने को कहा।
जब गंगू ने सवाल पूछे तो शीला ने गंगू को सच्चाई बताई कि वो रमणीक लाल की कोई मौसी नहीं है। बल्कि रमणीक लाल ने गंगू को उन्हें 500 रुपए में बेच दिया है। गंगू शीला से बहस करने लगी। इस पर शीला ने गंगू को जवाब दिया कि इसमें मेरी क्या गलती है जब तुम्हारे खुद के पति ने तुम्हें बेच दिया है। गंगू ने बहुत बगावत की, वो रोई चीखी चिल्लाई, और रमणीक को बुलाने के लिए कहा। जब उसे बताया गया की रमणीक जा चुका है, और उस से संपर्क नहीं हो सकता, तो गंगू को महसूस हुआ की वो बुरी तरीके से फंस गई है। गंगू कई दिनों तक रोती रही, शीला के लाख कहने पर भी नहीं मानी। जिसके कारण उन्हें मारा गया, भूखा रखा गया। कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। एक समय ऐसा भी था जब गंगू ने सोचा कि वो फिर से घर लौट जाए। लेकिन तब शीला ने उन्हें याद दिलाया कि उनकी फैमिली का नाम ऑलरेडी खराब कर चुकी है। एक लड़के के साथ भाग कर और फिर जब फैमिली को ये पता चलेगा कि कमाठीपुरा में रहकर आई है तो फैमिली वैसे ही उन्हें एक्सेप्ट नहीं करेगी। और अब तक काठियावाड़ में उनकी फैमिली बदनाम हो चुकी होगी और बाकी बहनों का क्या होगा ये सोचकर गंगू वहीं रह गई और वहां से उन्होंने इस नई जिंदगी को, जो उन पर थोपी गई, जिसमें उन्हें ढकेला गया, उसको एक्सेप्ट किया। गंगू ने जाकर शीला को बोला कि, “मैं तैयार हूं”।
उस दिन गंगू ने सफ़ेद साड़ी पहनी लाल लिपस्टिक लगाई और नाक में नथ पहनी। एक बड़ी लाल बिंदी लगाई। उस दिन गंगू के लिए एक सेठ आया था जिसने मोटा पैसा दिया था क्योंकि उसे गंगू के बारे में बताया गया था। हालांकि गंगू ने अपने उस सेठ को इतना संतुष्ट किया कि वो सेठ ना सिर्फ गंगू को एक अच्छी टिप देकर गया बल्कि गंगू को एक सोने की अंगूठी गिफ्ट में भी देकर गया। धीरे धीरे गंगू उस पूरे कोठे की एक पॉपुलर प्रॉस्टिट्यूट बन चुकी थी गंगू की धाक धीरे धीरे कोठे में जमने लगी क्योंकि उसके नाम से शीला काफी पैसा कमा रही थी। यही कारण है कि गंगू की मनमानी भी कई बार इस कोठे पर चल जाया करती थी।
एक बार ऐसा हुआ कि एक पठान आया जिसने गंगू के साथ न सिर्फ जबरदस्ती सेक्स (forced sex) किया बल्कि वो पैसे बिना दिए ही वहां से चला गया। जिस पर गंगू ने शीला से शिकायत की लेकिन शीला ने ये बात वहीं खत्म कर दी। इस डर से कि, पठान है, इसकी गैंग के साथ हम पंगा नहीं ले सकते। लेकिन इस पठान ने गंगू को ऐसी हालत कर दी कि दो-तीन दिन तक गंगू कमरे से नहीं निकल पाई। चार दिन बाद फिर से ये पठान आया, और फिर गंगू के साथ वही हरकत की। बुरी तरीके से उसका रेप (Forced Rape) किया। उसे नोचा उसे काटा। इस बार हालत इतनी बदतर हो गई थी कि गंगू को हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। हफ्तों तक गंगू हॉस्पिटल में एडमिट रही और इस बार फिर पठान पैसा नहीं देकर गया था। गंगू ने फिर शीला को शिकायत की लेकिन उसे सपोर्ट नहीं मिला। उस पठान से पूरे कोठे में कोई पंगा नहीं लेना चाहता था। इसी कारण गंगू ने डिसाइड किया कि वो खुद की लड़ाई खुद लड़ेगी और आगे ये पठान इस तरह की हरकत नहीं कर पाए इसीलिए इसको कंट्रोल करना बहुत जरूरी है।
गंगू ने पता किया कि पठान है कौन, इसका नाम क्या है, और कहां उठता बैठता है? तो पता चला कि इस पठान का नाम शौकत खान है जो कि करीम लाला नाम के गैंगस्टर का आदमी था। वही करीम लाला जो दाऊद इब्राहिम की गैंग का मेंबर था, और उसके लिए काम करता था। गंगू ने डिसाइड किया कि वो शौकत के बारे में करीम लाला से बात करेगी। शुक्रवार के दिन करीम लाला ने अपनी नमाज अदा की। जिसके बाद उसके घर, (मुम्बई के लेमिनेटेड रोड स्थित ताहिर मंजिल) पर गंगू उससे मिलने के लिए आ गई। लेकिन करीम लाला को घर के बाहर, सड़क पर एक सेक्स वर्कर के साथ बात करना थोड़ा अजीब लगा। तो उसने गंगू को घर आने के लिए कहा। करीम लाला ने गंगू को घर के अंदर नहीं बल्कि अपनी बिल्डिंग की छत पर बिठाया और उसके लिए नाश्ता भिजवाया। जब करीम लाला दस मिनट बाद छत पर गंगू की बात सुनने के लिए गए तो उन्होंने देखा कि गंगू ने नाश्ते को हाथ तक नहीं लगाया था। तब करीम लाला ने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों, तो गंगू ने बताया कि तुम एक वेश्या को अपने घर तक में नहीं लाना चाहते हो, तो वही वेश्या अगर तुम्हारे किचन से निकले बर्तनों को छुएगी तो तुम्हारे बर्तन गंदे नहीं होंगे? गंगू की इस बेबाक बात से करीम लाला दंग रह गए। फाइनली गंगू ने करीम लाला को बताया कि वो जिस प्रॉब्लम में हैं उसे करीम लाला ही सॉल्व कर सकते हैं और उसके लिए गंगू जिन्दगी भर उनकी रखैल भी बन कर रह सकती है। ये बात गंगू ने करीम लाला के सामने कह दी।
इस बात से करीम लाला बहुत ही गुस्सा हो गए। उन्होंने गंगू को याद दिलाया कि इस तरह से उनसे किसी ने बात नहीं कर सकता। वो एक फैमिली मैन है। फिर गंगू ने अपनी कहानी करीम लाला को सुनाई। अपने चोटों के निशान दिखाये और फाइनली करीम लाला ने गंगू को आश्वस्त किया कि वो शौकत खान पठान को जरूर सबक सिखाएंगे। करीम लाला की इस बात से गंगू बहुत खुश हुई। जिंदगी में किसी भी आदमी ने इतनी इज्जत नहीं दी थी और किसी भी आदमी के साथ इतना सेफ अब तक उन्होंने फील किया था। यही कारण है कि उस दिन उन्होंने अपने पास से एक धागा निकालकर करीम लाला के हाथ पर बांध दिया और कहा कि आज से तुम मेरे राखी भाई।
इतना कहकर गंगू वहां से चली गई। करीम लाला ने भी अपना दिया हुआ वादा निभाया उन्होंने अपने एक आदमी को गंगूबाई के कोठे के बाहर खड़ा कर दिया कि अगली बार जब भी शौकत आए तो मुझे बताना। तीन हफ्तों बाद ऐसा हुआ जब शौकत आया और फाइनली गंगूबाई ने अपनी दूसरी प्रॉस्टिट्यूट को कह कर करीम लाला तक मैसेज पहुंचाया। करीम लाला खुद वहां आया। शौकत को रंगे हाथ पकड़ा, और वहीं पर हॉकी स्टिक से उसकी इतनी पिटाई की, कि उसके बाद कभी कमाठीपुरा एरिया में शौकत नजर नहीं आया। और उस दिन करीम लाला ने अनाउंस कर दिया था कि गंगू मेरी राखी बहन है, कोई भी उससे पंगा लेने से पहले सोच लेना। गंगू पर करीम लाला का हाथ होने से कमाठीपुरा में उनकी धाक बहुत ज्यादा बढ़ गई। बड़े बड़े क्लाइंट्स सीधे उसके पास आने लगे, और गंगुबाई खूब पैसा कमाने लगी।
इसी दौरान गंगूबाई ने कमाठीपुरा के चुनाव लड़े, जो दो तरह के चुनाव होते हैं। पहला, घरवाली के लिए, गाने की एक फ्लोर जिस पर 40, 50 पिंजरे होते हैं, जिनमें प्रॉस्टिट्यूट रहती है, उसको मैनेज करना। पहला इलेक्शन घरवाली वाला गंगू जीत गई। इसके बाद वो बड़े घरवाली का इलेक्शन लड़ी यानी की एक पूरी बिल्डिंग आपने कंट्रोल में लेने के लिए। ये इलेक्शन भी गंगू जीत गई, जिससे उसकी धाक पूरे कमाठीपुरा में चलने लगी। जब गंगूबाई ने घरवाली और बड़ेघरवाली के चुनाव जीते, तो गंगूबाई, जो कोठे वाली थी, वो अब काठेवाली वाली यानि की बड़े कद वाली कहलाने लगी। और ये सरनेम उसकी पिछली लाइफ से मिलता जुलता था- काठियावाड़ी। वक्त के साथ गंगू ने इतना पैसा कमाया कि खुद के लिए एक बेंटले कार खरीदी। वाइट कलर की साड़ी जो वो पहनती थी, उसके अंदर सोने के तार हुआ करते थे, और ब्लाउज पर बटन, वो भी सोने के। जितना भी पैसा कमाती थी ज्यादातर उससे सोना ही खरीदती थी। सोने का बहुत शौक था, यही कारण है कि उनके चश्मे की जो रिंग थी, वो भी सोने की थी। और उन्होंने एक नकली दांत सोने का लगवाया था। धीरे धीरे कमाठीपुरा में गंगूबाई ने सेक्स वर्कर्स की लाइफ और उनके हक के लिए लड़ना शुरू किया। बीच में ये भी हुआ था कि कमाठीपुरा से रेडलाइट एरिया को हटाया जाएगा, जिसके लिए वो खूब लड़ी। गंगूबाई के लिए ये भी कहा जाता है कि वो जबरन लड़कियों को कभी भी प्रॉस्टिट्यूशन में नहीं धकेलती थी। कोई लड़की अगर निकलना भी चाहे तो वो उन्हें जाने दिया करती थी।
गंगूबाई पहली प्रॉस्टिट्यूट है जिसने पंडित जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात की और उन्होंने प्रॉस्टिट्यूशन को लीगल बनाने के लिए डिमांड की थी। मीटिंग का मुद्दा था कि, कमाठीपुरा के पास एक स्कूल खुला है। बच्चों को इन वेश्याओं की गली से गुजरकर स्कूल में जाना पड़ता है, और इस कारण कमाठीपुरा को वहां से हटाने की बात चल रही थी। गंगूबाई ने पीएम को ऐसी बात कही जिससे वो भी सोचने पर मजबूर हो गए। गंगूबाई ने कहा कि ये कोठा स्कूल के पहले से चल रहा है। स्कूल वालों को सोचना चाहिए कि वो कोठे के पास में स्कूल क्यों खोल रहे हैं।
गंगूबाई को कई जगह पर एक चीफ गेस्ट के तौर पर भी बुलाया जाता था। ऐसे ही विमेंस वेलफेयर के लिए एक फंक्शन रखा गया था, मुम्बई के आजाद मैदान में, ये फंक्शन ऑर्गनाइज हुआ था। जहां पर गंगूबाई की स्पीच पर तालियां बजने लगी थी। गंगूबाई ने कहा था कि, “मुम्बई सिटी लड़कियों के लिए सेफ है हमारे कारण, क्यों कि यहां के जितने भी वहशी आदमी हैं, उनकी हवस हम वेश्या खत्म करती हैं।” यही कारण है कि बाकी लड़कियां मुम्बई में सेफ घूम पाती है। गंगूबाई की इस स्पीच को तब काफी तारीफ मिली थी, और उन्हें मैडम ऑफ कमाठीपुरा का टैग भी दिया गया। इन सेक्स वर्कर्स के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया उसके लिए सारी सेक्स वर्कर्स उन्हें गंगू मां कहकर बुलाती थी और अपने कमरे में गंगूबाई की एक तस्वीर ज़रूर लगाती थी।
कमाठीपुरा की बारहवीं लेन में गंगूबाई का एक मकान था, जहां बाहर आलीशान कारें खड़ी रहा करती थी। गंगूबाई ने कभी भी शादी नहीं की, हालांकि कुछ बच्चे उन्होंने गोद जरूर लिए थे, जिनकी वो परवरिश वो किया करती थी। 1975-78 के बीच में गंगूबाई की मौत हो गई।
यह थी कहानी उस लड़की की, जो 16 साल की उम्र में हिरोइन बनने का सपना लेकर मुम्बई आई थी। लेकिन उसने जिसे प्यार किया, उसी ने धोखा देकर उसे प्रॉस्टिट्यूशन में धकेल दिया। और यही वो कहानी है जिस पर संजय लीला भंसाली ने फिल्म बनाई है, गंगूबाई काठियावाड़। जिसमे अलिया भट्ट गंगूबाई का रोल निभाती नजर आएगी। इसके अलावा करीम लाला का किरदार अजय देवगन निभाएंगे साथ ही शांतनु माहेश्वरी ने रमणीक लाल का रोल किया है। विजय राज, इमरान हाशमी, सीमा पावा भी इस फिल्म का हिस्सा है। हुमा कुरेशी ने इस फिल्म में एक आइटम नंबर किया है। 30 जुलाई 2021 को ये फिल्म रिलीज होने जा रही है।