उर्दू शायरी का नया ठिकाना – रेख्ता डॉट ओआरजी (rekhta.org)

शुरआत में तो यह पहल एक व्यक्तिगत जुनून के तहत की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे इससे बड़ी संख्या में अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के साहित्यप्रेमी भी जुड़ने लगे।

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उर्दू शायरी का नया ठिकाना - रेख्ता डॉट ओआरजी (rekhta.org)
उर्दू शायरी का नया ठिकाना - रेख्ता डॉट ओआरजी (rekhta.org)

उर्दू शायरी का नया ठिकाना – रेख्ता डॉट ओआरजी (rekhta.org)


‘रेख्ता’ के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब’, अब हर कोई इसका माहिर बन सकता है, क्योंकि अब ‘रेख्ता’ नामक एक नयी बेवसाइट के जरिए गैर उर्दू भाषी लोग भी ‘रेख्ता’ (शायरी ) से रूबरू हो पाएंगे।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उपनगर नोएडा के उद्यमी संजीव सर्राफ ने उर्दू या फारसी लिपि पढ़ने में असमर्थ अंग्रेजी और हिन्दीभाषी समाज में जिन्दगी के मुश्किल और पेचीदा फलसफों को महज दो पंक्तियों में इजहार करने वाली उर्दू शेर-ओ-शायरी के प्रति बढ़ती दिलचस्पी को देखकर ‘रेख्ता डॉट ओआरजी’ (rekhta.org) नाम की एक ऐसी वेबसाइट विकसित की है, जिसमें दुनिया भर के उर्दू साहित्य को देवनागरी, फारसी और रोमन अंग्रेजी में संकलित संग्रहित किया गया है।

नोएडा में पॉलीप्लैक्स का कारोबार चलाने वाले उद्यमी संजीव सर्राफ ने बताया, ‘‘शुरआत में तो यह पहल एक व्यक्तिगत जुनून के तहत की गई थी, लेकिन धीरे-धीरे इससे बड़ी संख्या में अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के साहित्यप्रेमी भी जुड़ने लगे। देश में उर्दू शायरी में दिलचस्पी रखने वालों की बड़ी संख्या गैर-मुस्लिमों की है, जिन्हें उर्दू पढ़ना नहीं आता। इससे लगा कि बेवसाइट को अन्य भाषा जानने वालों के लिए भी सहज बनाया जाना चाहिए। इसके बाद तो लोग मिलते गये और कारवां बनता गया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘बेवसाइट को सिर्फ विभिन्न भाषी लोगों तक पहुंचाना तो बहुत आसान था, लेकिन इसे वास्तविक उर्दू साहित्य के प्रेमियों के लिए उपयोगी बनाना एक कठिन काम था। इसके लिए हमें इसमें ज्यादा से ज्यादा शायरी और उर्दू साहित्य को शामिल करना और उसे खोजना था।’’ राज्यसभा के पूर्व सदस्य एवं प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने कहा, ‘‘उर्दू साहित्य और शायरी को लेकर इस प्रकार की प्रयास की जरूरत बहुत दिनों से महसूस की जा रही थी। यह बहुत अच्छा है कि अब उर्दू के चहेतों को ‘रेख्ता’ पर ही दुनिया की तमाम शायरी मुहैया हो सकेगी।’’ सर्राफ ने कहा कि उर्दू साहित्य अनेक रूपों में इधर-उधर बिखरा पड़ा है, जिसके संकलन के लिए हमें एक आलिम और माहिर दल की जरूरत महसूस हुई, जो सिर्फ साहित्य का पाठक ही नहीं, बल्कि उसे शायरी की भी बेहतरीन समझ हो।

हमने राजधानी के ऐसे अनेक शायरों को इस मुहिम के साथ जोड़ना शुरू किया और अब आप देख सकते हैं कि लोगों के सहयोग से ‘रेख्ता’ उर्दू की एक बेहतरीन बेवसाइट बन चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 10,000 से अधिक युवा उर्दू शायरी के शौकीन हैं और शायरी को पढ़-लिख रहे हैं। यह लोग हिन्दी के अलावा ठेठ उर्दू की गज़ल कह रहे हैं। उनके लिए एक बड़ी मुश्किल यह भी है कि उन्हें शायरों के कलाम प्रमाणिकता के साथ हासिल नहीं हो पाते। ज्यादातर शायरी देवनागरी में नहीं है, और जो हैं भी वह आधी अधूरी हैं। किताबें नहीं मिलने की सूरत में लोग इंटरनेट का सहारा लेते हैं, लेकिन वहां भी उनकी तलाश अधूरी रह जाती है।

संजीव सर्राफ ने ऐसी ही दुश्वारियों के इलाज के लिए ‘रेख्ता’ फाउंडेशन की शुरआत की। 11 जनवरी 2013 को केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ‘रेख्ता’ का उद्घाटन किया। वेबसाइट शुरू होने के केवल आठ महीनों में ही ‘रेख्ता’ में उर्दू के करीब 400 शायरों की 5,000 से ज्यादा गज़लें इकट्ठी की गई। इसमें मीर, ग़ालिब, ज़ौक, मोमिन आतिश और दाग़ जैसे क्लासिकल शायरों से लेकर फैज़ अहमद फैज़, साहिर लुधियानवी, अहमद फराज़, शहरयार, कैफी आज़मी और निदा फाज़ली जैसे समकालीन शायरों को भी शामिल किया गया। वेबसाइट में शामिल शायरी के मुश्किल लफ्ज़ों के लिए एक लुगत (शब्दकोश) भी बनाया गया है, जो उर्दू लफ्ज़ पर माउस ले जाने भर से ही उसका मतलब बता देता है। इसके अलावा इसमें ऑडियो सेक्शन और वीडियो स्टूडियो भी बनाया गया है। बहुत कम समय में ही ‘रेख्ता’ को पसंद करने वालों की तादात में खासा इज़ाफा दर्ज किया गया है।