1983 विश्वकप: भारतीय क्रिकेट की एक अविस्मरणीय कहानी | 1983 World Cup: Unforgettable Story of Indian Cricket

आज 1983 के वर्ल्डकप की बात करते है, वह वर्ल्डकप जिसमे ,भारत एक कमजोर टीम ने अपने ऐटिट्यूड के दम पर वर्ल्डकप जीता था।

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1983 विश्वकप - भारतीय क्रिकेट की एक अविस्मरणीय कहानी | 1983 World Cup: Unforgettable story of Indian Cricket
1983 विश्वकप - भारतीय क्रिकेट की एक अविस्मरणीय कहानी | 1983 World Cup: Unforgettable story of Indian Cricket

1983 विश्वकप: भारतीय क्रिकेट की एक अविस्मरणीय कहानी
1983 World Cup: Unforgettable Story Of Indian Cricket


आज 1983 के वर्ल्डकप की बात करते है, जिस वर्ल्डकप मे भारत एक कमजोर टीम थी, जिसने अपने ऐटिट्यूड के दम पर वर्ल्डकप जीता था। उस समय भारत एक कमजोर टीम हुआ करती थी और भारत अपने शुरुआती दोनों लीग मेच भी हार चुकी थी, इसके बाद भी भारत अपने ऐटिट्यूड के दम पर वर्ल्डकप जीत लिया था।
वर्ल्डकप की शुरुवाती दोनों लीग मेच भारत, ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से हार गया था। फिर तीसरा लीग मेच जो जिम्बाब्वे के साथ हुआ, जिसमे गावसकर ,श्रीकांत जीरो पर आउट हो गये। इसके बाद आए अमरनाथ जो उस समय इनफॉर्म बैट्समैन थे, लेकिन वो भी सस्ते में आउट हो गये, उनको बाद आये यशपाल शर्मा ,संदीप पाटिल भी आउट हो गये थे। भारत वो मेच हारने ही वाला था, लेकिन फिर बैटिंग करने आए कपिलदेव। इस वर्ल्डकप को जीतने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रोल कपिलदेव के संकल्प का रहा।

1983 विश्वकप: भारतीय क्रिकेट की एक अविस्मरणीय कहानी | 1983 World Cup: Unforgettable Story of Indian Cricket
1983 World Cup Unforgettable Story of Indian Cricket

इस मेच में कपिल देव ने 6 सिक्स के साथ 175 रन बनाए और नॉट आउट रहे। ये उस जमाने की बात है, जिस समय 225 रन बनाने वाली टीम मैच जीत जाया करती थी, कपिल देव ने अपने मजबूत इरादों और निश्चय से भारत को मैच जीता दिया और वर्ल्डकप भी जीत लीया। अगर भारत वो मैच नहीं जीता होता तो भारत वर्ल्ड कप भी नहीं जीत पाता।
भारत का फाइनल मुकाबला हुआ वेस्टइंडीज से और इससे पहले के दो वर्ल्ड कप1975,1979 वेस्टइंडीज की टीम जीत चुकी थी। वेस्टइंडीज की टीम उस समय एक डायनासौर टीम थी और भारत की टीम चूहे जैसी थी। इसलिए वेस्टइंडीज ओवर कॉन्फिडेंस मे थी और सोचा ये मैच तो आसानी से जीत जाएगे। लेकिन उनका ये ओवर कॉन्फिडेंस वेस्टइंडीज टीम को खा गया। वेस्टइंडीज की टीम जिसमें गॉर्डन गिनी , डेसमंड हेंस, विव रिचर्ड्स , रिची रिचर्डसन, रोजर हार्पर, जो गार्नर, मालकुम मार्सल पहाड़ जैसी टीम थी । भारत ने 183 रन का स्कोर बनाया जिसमे श्रीकान्त ने 38 रन हाई स्कोर बनाये।

1983 World Cup Unforgettable Story of Indian Cricket
1983 World Cup Unforgettable Story of Indian Cricket

भारत के बाद वेस्टइंडीज की टीम बैटिंग करने आई और भारत ने गोर्डेन ग्रीनिडगे को आसानी से आउट कर दिया। उसके बाद विवियन रिचर्ड्स आये, रिचर्ड्स ने तो तूफान खड़ा कर दिया, 13 गेंद में सात बाउंड्री मारी। भारतीय दर्शक को लगा अब इस मैच तो बस फॉर्मेलिटी ही बची है, मगर विवियन रिचर्ड्स ने गलत शॉट मारा। कपिलदेव गेंद की और उलटी दिशा में दौड़ लगाई और कैच पकड़ लिया।

इसके बाद एक इंटरव्यू में विवियन रिचर्ड्स ने कहा था कि मैंने उस दिन कपिलदेव की आखों मे अलग चमक देखी, मैं जान गया था ये कैच जरूर पकड़ लेगा और ये वर्ल्ड कप जीत के जाएगा । जब कपिलदेव गेंद की दिशा में दौड़ रहे थे उस दरम्यान विवियन रिचर्ड्स ने अपने ग्लब्स उतार लिए थे। कपिलदेव ने कैच पकड़ा और उसके बाद 76 पर 6 विकेट्स गिरे।

वेस्टइंडीज की टीम हार गयी और भारत वर्ल्ड कप जीत गया। पूरी दुनिया में भारतीय खिलाड़ी हीरो बन गये थे। पेपर , टीवी, रेडियो में सब जगह भारतीय हीरो बन गये। लेकिन वेस्टइंडीज के लिए ये हार एक करारा तमाचा था। वेस्टइंडीज सिद्ध करना चा रहा था की हम हारे नहीं हैं। वेस्टइंडीज अब भी साबित करना चाहता था कि “ we are the champions”

वेस्टइंडीज बोर्ड ने क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई को फोन किया और नेवेदन किया की हम भारत के साथ एक फुल सिरीज 6 वन डे और 6 टेस्ट मैच रखना चाहते है। वेस्टइंडीज की टीम भारत में खेलने के लिए आयी और शुरुआत के छह वनडे भारत हार गया।

1983 World Cup Unforgettable Story of Indian Cricket-03
1983 World Cup Unforgettable Story of Indian Cricket

अब पूरी दुनिया में भारत हसी का पात्र बन गया, की ये वर्ल्ड चैम्पियन है। ये वर्ल्ड चैम्पियन टीम है, जो एक महीने पहले वर्ल्ड चैम्पियन बनी और अब 6 में से एक वनडे मैच नहीं जीत पाई और इतनी बुरी तरह से हार गयी। उस के बाद पहला टेस्ट मैच भी पूरी एक इननिंग ओर 253 रन से हारी। भारत की बुरी तरह से निंदा की जाने लगी। लेकिन उस समय के बीसीसीआई के आयोजक ने सोचा की कुछ तो किया जाना चाहिए, और इंडियन टीम को मोटिवेट करने का निश्चय किया।
उन्हें टारगेट बनाए सुनील गावस्कर को। सुनील गावस्कर को कहा गया कि एंडी रोबोट्स , जो गार्नर , मैलकम मार्सिले दुनिया के बेस्ट बोलर है और सुनील गावसकर को कहा“you are the best batsman in the world” और आप पूरे डिफेंसिव से खेलते हो और उन को कहा की “now you have to be attacking”। सुनील गावस्कर को पूरी तरह से मोटिवेट किया गया। उस समय टेस्ट मैच में मैल्कम मार्शल को एक भी बाउंड्री नहीं मार सका, एक भी खिलाड़ी मे इतनी हिम्मत नहीं की मैल्कम मार्शल को बाउंड्री मार सके।

अब फिरोजशाह कोटला में दूसरा टेस्ट में भारत की पहली बैटिंग आई और सुनील गावसकर बैटिंग करने उतरे। वेस्टइंडीज टीम ने सोचा कि लंच से पहले इस टीम को ऑलआउट कर देंगे, मगर वो दिन अलग था, ऐटिट्यूड अलग था। सुनील गावस्कर उतरे ओर पहले ओवर मे चार बाउंड्री मारी।उसके बाद लंच से पहले टीम ऑलआउट होने के बदले सुनील गावसकर ने 138 रन बनाये।

तो ये बदलाव कैसे आया, ये बदलाव था एटीट्यूड का। इससे हम यह सीख सकते कि जिंदगी में यदि हम डिफेंसिव रहे तो हम जीत नहीं सकते। सामान्य होता है कि मुसीबतें आती है और हम बचाव की सोच ते है । हम सोचते कि हम कैसे भी इनसे पार हो जाए। जब आप को अटैक करते हो तब मुसीबत हरा देते हो । जिन्दगी में जब भी आपके दुख तकलीफ आए तब आप को अटैक करना चाहिए और उस वर्ष वर्ल्ड कप को याद करना चाहिए और सुनील गावस्कर वाला ऐटिट्यूड लाना चाहिए।