राजा भोज के अनसुना किस्से |

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राजा भोज का अनसुना किस्से |
राजा भोज का अनसुना किस्से |

राजा भोज के अनसुना किस्से |


महाराज आनंदपाल को धोखे से हराने के बाद महमूद गजनवी सोमनाथ पर हमला करने के लिए निकला, इस बात की खबर पहुंची चूरू की महादेव के मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं तभी एक महान वीर देव पुरुष पूजनीय गोगा जी महाराज अपनी मुट्ठी भर सेना के साथ महमूद की सेना के सामने दीवार बने खड़े थे। गोगा जी महाराज की सेना ने मल्लेसों से डटकर मुकाबला किया तभी गोगा जी महाराज के पीछे से किसी दुष्ट मल्लेश ने हमला करके गोगा जी महाराज की गर्दन धड अलग कर दी।

जिसके बाद भी गोगा जी महाराज इन मल्लेसों से लड़ते रहे वह अकेले 1010 मल्लेसों पर भारी पड़े इस पूरे दृश्य को देखकर महमूद गजनबी काफी भयभीत हुआ इस पूरे दृश्य को देखकर महमूद गजनबी ने गोगा जी महाराज को जाहर पीर यानी जिंदा देवता की उपाधि दी। तभी से इन भले चुप पता चला कि क्षत्रियों के शीश कटे और धड़ लड़े ऐसे वीर गोगा जी महाराज को हम नमन करते हैं जो हमारे घरों में पूजे जाते हैं इस जीत के बाद महमूद गजनबी यहां से सीधे मेवाड़ देश होकर जाने से बचने के लिए उसने सिंह की तरफ से जाने का फैसला किया सिंध के जाटों ने महमूद की सेना पर छापामार युद्ध किया महमूद भाई बीच हुआ जाट वीरों ने अपने साहस का प्रथम कुछ इस प्रकार से दिखाया कि महमूद की सेना सोच में पड़ गई कि हमला आखिर हो किधर से रहा है महमूद की सेना की बर्बादी के बाद महमूद ने सैनिकों से कहा कि, शहीदों के लिए जन्नत के दरवाजे खुले हैं आगे बढ़ो।

जाट यहीं से महमूद को वापस खदेड़ देते पर इस युद्ध में मात्र जाटों के शहरों के लोग लड़े थे उन को नेतृत्व देने वाला कोई नहीं था महमूद की सेना पर जाटों के हिसाब ले का विवरण निजामुद्दीन अहमद की किताब तबकात ए अकबरी और फरिश्ता में मिलता है अपनी सेना की भारी बर्बादी के बावजूद महमूद गजनबी नहीं रुका उसने सोमनाथ मंदिर को अपवित्र किया हजारों हिंदुओं की लाशें बिछा दी सोमनाथ की शिवलिंग को उसने खंडित किया सोमनाथ के ब्राह्मण भागकर आज के मालवा देश पहुंचे मालवा में एक महान शूरवीर परमार वंश की भोपाल पति महाकाल भक्त का राज्य था जिसका नाम था राजा भोज राजा भोज परम महाकाल भक्त छत्रिय खून नशे चीर कर बाहर निकलने लगा जब महाराज ने सोमनाथ की कहानी सुनी उन्होंने सुना कि मैंने जो कि हम लेने सोमनाथ के शिवलिंग को खंडित किया हजारों ब्राह्मणों को काट दिया गया आपको यहां में महाराज के बारे में कुछ बता दूं कि, हुकुम वीर सम्राट विक्रमादित्य के वंशज थे जो मात्र 15 वर्ष की आयु में मालवा के धनी राजा भोज ने आज के केरल राज्य तक अपने राज्य को पहुंचाया तेलंगाना राज्य की महान सेना पर जीत दर्ज करके भगवे का परचम बुलंद किया उज्जैन नगरी का महाकाल नगरी के रूप में प्रसिद्ध किया राजा भोज ने इस खबर को सुनकर महमूद सहित उसके वंशजों को खत्म करने की कसम खाई और एक ललकार के साथ महाकाल को याद करके सेना तैयार की भोज के पास किसी सम्राट की तरह एक विशाल सेना थी जय भवानी के युद्ध को उसके साथ अपनी विशाल सेना को लेकर बहुत सोमनाथ की तरफ निकल पड़े राजा भोज अपने महादेव के मंदिर पर हमले की खबर से खुद महाकाल का स्वरूप धारण कर चुके थे गजनी के लुटेरे महमूद गजनबी को अपनी सलाह ने बताया कि पूरब से एक विशाल सेना आ रही है इस खबर मात्र से पहले से दो छोटी सेनाओं के हमले झेल चुके जिहादी भयभीत हो गए और सिंध की तरफ भागे महमूद ने अपने सैनिकों के साथ भागने में भलाई समझी सोमनाथ पहुंचने पर राजा भोज को यहां महमूद गजनबी नहीं मिला इस बात पर मैं बहुत ज्यादा क्रोधित हुए और जंगल में खुले शेर की तरह दहाड़ ते हुए महाकाल को याद किया और अपने सैनिकों कोचिंग की तरफ बढ़ने का आदेश दिया।

इस पूरे घटनाक्रम का उल्लेख तुर्की लेखक गजरी जी की किताबों में मिलता है यहां बहुत सी किताबों में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महमूद को राजा भोज ने आज के राजस्थान और गुजरात की सीमा पर पकड़ा और भयंकर हमले से महमूद को भयंकर जवाब दिया और इसी युद्ध में महमूद राजा भोज के हाथों मारा गया इस बात के कई कारण भी बताए गए हैं इस बात के तर्क देते हुए इतिहासकारों ने कहा है कि महमूद की मौत का बदला लेने के लिए बाद में आए सभी हमलावरों ने मालवा पर एक हद से कहीं अधिक हमले की और दूसरी और अपने अंतिम हमले के बाद में हम उस गजनबी वापस हिंदुस्तान क्यों नहीं आया वीडियो जारी रहेगा बने रहिए डिमांडिंग पंडित के साथ आगे जाने कैसे बहराइच के मैदानों में हिंदुओं से निकले सुपर काल बनकर टूटी और कैसे राजा भोज ने अपनी कसम पूरी की।