आनंदपाल किताब से अपराध तक का सफर।

आनंदपाल गैंग के करीबी गुर्गों ने नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों को अपना शिकार बनाना शुरू किया।

0
776
आनंदपाल किताब से अपराध तक का सफर।
आनंदपाल किताब से अपराध तक का सफर।

आनंदपाल किताब से अपराध तक का सफर।


फिल्मों के शौक ने आजकल वेब सीरिज़ का क्रेज बढ़ा दिया है। अमेजन प्राइम के ज़माने में कई ऐसी वेब सीरीज आई हैं, जिन्होंने सुर्खिया बटोरी हैं और यह ज्यादातर गैंगस्टरों की सच्ची कहानी पर आधारित रही है। ये कहानी है रंगबाज फिर से। ये कहानी उस गैंगस्टर की है, जिसने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब और साथ-साथ राजस्थान की पुलिस की नींद उड़ा दी थी। ये कहानी है उस दबंग लड़के की जो साधारण टीचर बनते-बनते अपराध और राजनीति के रास्ते पर चला गया था। गैंगस्टर आनंदपाल की जिसे राजपूत समाज में महानायक माना जाता है।

आनंदपाल अपराध की दुनिया में बलबीर गैंग की वजह से आया। कहानी शुरू होती है 1997 से तब बलबीर, बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे। दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे। 2005 में एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। फिर बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना अलग गैंग बना लिया। कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ और यहीं से शुरू हुआ अपराधों की दुनिया में आनंदपाल की राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर बनने की कहानी।

2011 तक खुद गोदारा मॉडल सीकर के गोपाल फोगाट हत्याकांड से कुख्यात आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुआ। गोदारा मर्डर और सीकर के गोपाल फोगाट हत्याकांड करने वाले आनंदपाल 2006 से अपराध जगत में शामिल हुए। तब से उसने अपना क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ाया। गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है, जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगोड़ा घोषित किया हुआ था। गोदारा और फोगाट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है। 30 जून 2011 को आनंदपाल ने सुजानगढ़ में भुज लाइन चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया था। 2006 से 2011 तक आनंदपाल गुनहा करता चला गया और कुख्यात बदमाश पुलिस भगोड़ा मोस्ट वांटेड बन गया। 2011 के बाद 2015 तक आनंदपाल खुद कभी क्राइम करते सामने नहीं आया। इस डॉन ने क्राइम के तरीकों में बदलाव लाया। उसने अपने ज्ञान को बढ़ाया और 20 से 200 की गैंग को शामिल किया जो अपने इलाके के दादा बने। मतलब उनकी गैंग भी अलग थी। सब के सब आनंदपाल के भक्त बन गए। फिर शुरू हुआ अपराधों का नया खेल, जो शायद ही कभी इससे पहले राजस्थान में हुआ था। आनंदपाल गैंग के करीबी गुर्गों ने नागौर, सीकर, चूरू, जयपुर में पैसे वालों को अपना शिकार बनाना शुरू किया।

पूरी टीम तैयार होते ही आनंदपाल ने जयपुर के पास फागी में एसओजी के सामने सरेंडर कर दिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती है। आनंदपाल जेल से ही गैंग को चलाने लगा और फिरौती वसूली मारकाट का सिलसिला यूं ही चलता रहा। आनंदपाल के गुर्गों और बंदूक के दम पर सैकड़ों बीघा जमीन कब्जाई और अपना एक किला भी बनवाया। नागौर के लाडनूं में फार्महाउस पर आनंदपाल के इस किले को देखकर पुलिस भी हैरान रह गई थी। ऐसा किला लोगों ने इससे पहले सिर्फ फिल्मों में देखा था। आनंदपाल का वो फार्महाउस नौ बीघा जमीन पर बना हुआ था। पुलिस ने सील करने से पहले किले की तलाशी ली तो पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए। पुलिस के नजरों से बचने के लिए आनंदपाल ने इसे एक पुराने किले का रूप दिया है। इस किले में पुलिस और दुश्मनों से टकराने के लिए बंकर बनाए गए थे। दुश्मनों पर गोलियां चलाने के लिए पत्थरों से बनी दीवारों में छेद बनाए गए थे। उस वक्त हालात ऐसे पैदा हुए कि, लोग आपसी झगड़े में भी पुलिस की बजाय आनंदपाल की मदद लेने लगे और उसके समर्थक बढ़ते चले गए।

आनंदपाल जब जेल में था तब वो अपने फैन्स से भी जुड़ा रहता था। फेसबुक पर उसके हजारों फॉलोवर्स थे। वो जेल में दाऊद इब्राहिम की किताबें पढ़ता था। शायद उसी के अंदाज को फॉलो करते हुए आनंदपाल अपना लुक भी बिल्कुल वैसा ही कर रखा था। बरहाल इस गैंग ने जाति का रंग भी दिया। इससे राजपूत और जाटों की लड़ाई का रुप दिया, तो नागौर में गैंगवार के दो गुट बन गए। कुछ लोग आनंदपाल से मदद लेते तो कुछ लोग राजू ठेठ से। आनंदपाल के गैंग को उसके खास गुर्गे मैनेज करते थे और जेल में शाही लाइफ जीता था। जेल से भागने के लिए आनंदपाल ने जेल के डिप्टी से लेकर मुख्य प्रहरी को धन बल के प्रभाव से काबू में कर लिया था। बताया जाता है कि, जेल में उसकी एक महिला साथी अनुराधा भी मिलने आती थी जो आनंदपाल की गर्ल फ्रेंड बताई जाती थी। इस बीच हत्या और अपहरण मामले में जेल हुई थी तो जेल में उसने वीआईपी सहूलियतों के लिए पुलिस से पंगे ले लिए थे। फरारी के दौरान आनंदपाल अपनी प्रेमिका के साथ अपने किले में भी रह चुका है। कहा जाता है कि शेयर ट्रेडिंग में पैसा डूबने के बाद अनुराधा आनंदपाल के संपर्क में आई थी। वसे अनुराधा शादीशुदा थी, लेकिन अपराध जगत में घुसते ही उसके पति ने उसे छोड़ दिया था। अब आनंदपाल की राइट हैंड हो गई थी। बताया जाता है कि आनंदपाल को सूट बूट पहनना, और अंग्रेजी बोलना अनुराधा ने ही सिखाया था।
आनंद सिंह का एनकाउंटर 25 जून 2017 को राजस्थान पुलिस ने किया। उसे छह गोलियां लगी थी। उस वक्त उसकी लाश का कई दिनों तक अंतिम संस्कार नहीं करवाया था। समर्थक उसके लिए लड़ रहे थे। समर्थकों का कहना था कि, उसे राजनीतिक रंजिश के तहत गलत रास्ते में जाने को मजबूर कर दिया गया था।

सोचिए एक सिम्पल परिवार से ताल्लुक रखने वाला आनंदपाल जो पढ़ा लिखा भी था और बीएड की ट्रेनिंग भी ले चुका था सब कुछ सही चल रहा था लेकिन एक चीज थी जिसने उसे बदल दिया। जब खुद की शादी में वो घोड़ी नहीं चढ़ पा रहा था। समझाइश के बाद उसे घोड़ी पर चढ़ने तो दिया गया लेकिन तब से उसके ज़हन में राजनीति का रास्ता घूमने लगा। फिर पंचायत चुनाव हारने के बाद वो अपराध के रास्ते में कदम रखने लगा था और फिर राजस्थान का सबसे खतरनाक गैंगस्टर बन गया।