चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य

यहां विराजित हनुमानजी की मूर्ति के सीने में एक छेद है जहां से निरंतर पानी निकलता रहता है। यह पानी कहां से आता है इसका पता आज तक नहीं चल पाया।

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चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य
चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य

चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य


आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देंगे, जिसके अंदर का नजारा देखकर आपका कलेजा तक कांप उठेगा। यहां पर लोगों का रोना-धोना, चिल्लाना और मार खाना आम बात है। यहां विराजित हनुमानजी की मूर्ति के सीने में एक छेद है जहां से निरंतर पानी निकलता रहता है। यह पानी कहां से आता है इसका पता आज तक नहीं चल पाया।

भारत के सबसे रहस्यमयी मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर को जिसने भी देखा वो दंग रह गया। यहां तक कि विज्ञान जगत भी नहीं समझ पाया कि आखिर इस मंदिर में चमत्कार होता कैसे है। जयपुर की सीमा रेखा पर दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर कस्बे में बालाजी का एक अति प्रसिद्ध तथा प्रख्यात मंदिर है, जिसे श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाता है, जहां नास्तिक भी बालाजी के चमत्कार देखकर आस्तिक बन जाते हैं। दो पहाड़ियों के बीच बालाजी का मंदिर बना हुआ है, जिसे घाटी वाले बालाजी के नाम से भी पुकारा जाता है। इस मंदिर में हनुमानजी बल रूप में विराजमान है जो अपने आप पहाड़ी के पत्थर से बने हुए हैं। इस मूरत की तर्ज पर बाकी मंदिर का निर्माण किया गया है। घाटी वाले बाबा जी के अलावा यहां प्रेतराज सरकार और भैरवनाथ भक्तों की पीड़ा हरते हैं। दुखी और कष्टग्रस्त व्यक्ति को मंदिर पहुंचकर तीनों देवों को प्रसाद चढ़ाना पड़ता है। बालाजी को लड्डू, प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं और शेष प्रसाद पशु पक्षियों में डाल दिया जाता है।

चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य
चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य

तो चलिए जानते हैं मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्यों के बारे में।

1. ये मंदिर दो पहाड़ियों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं। यहां पर एक विशाल चट्टान में हनुमानजी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए बाद में यहां मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर की मूर्ति करीब एक हजार साल पुरानी है, लेकिन यह मंदिर 20वीं शताब्दी में बनाया गया था।

चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य
चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य

2. कहा जाता है कि कई सालों पहले हनुमानजी और प्रेतराज अरावली पर्वत पर प्रकट हुए थे। जहां बुरी आत्माओं और काला जादू से पीड़ित लोग, और रोगों से छुटकारा पाने के लिए लोग यहां आते थे। इस मंदिर को इन पीड़ाओं से मुक्ति का एक मात्र मार्ग माना जाता है। मंदिर के पंडित इन रोगों से मुक्ति के लिए कई उपचार बताते हैं। ऐसे लोग यहां पर बिना दवा और बिना तंत्र मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं।

चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य
चमत्कारी मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े तथ्य

3. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर के देवता को दिव्य शक्ति प्राप्त है जिससे मनुष्यों को दुष्ट आत्माओं से मुक्ति दिलाई जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि श्री बालाजी महाराज अपने भक्तों के प्रतिकूल ग्रह दिशाओं को ठीक करते हैं। इसके साथ भगवान श्री बालाजी ना केवल अपने भक्तों के संकट हारते हैं बल्कि उन्हें रिद्धि और सिद्धि भी प्रदान करते हैं।

4. मंदिर ऐसी जगह पर बना हुआ है जहां प्राचीनकाल में बहुत हिंसक जंगल हुआ करता था। कथाओं के अनुसार भगवान बालाजी और श्री प्रेतराज सरकार की मूर्ति यहां अरावली की पहाड़ियों पर करीबन एक हजार साल पहले प्रकट हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि एक महंत को सपना आया था जिसमें श्री बालाजी महाराज ने तीन देवी देवताओं और एक भव्य मंदिर का संकेत दिया था। उन्हे एक दिव्य आवाज भी सुनाई दी थी जिसमें श्री बालाजी हनुमान जी ने अपनी सेवा करने का आदेश दिया था। इसके बाद उन्होंने गहन साधना की जिसके बाद भगवान बालाजी ने उन्हें दर्शन दिए और जंगल में वो स्थान दिखाया जहां तीनों देवताओं का मंदिर था। यहीं पर उन महंतों ने पूजा करनी शुरू कर दी।

5. कहा जाता है कि मुस्लिम शासन काल में कुछ बादशाहों ने इस मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन हर बार ये बादशाह असफल रहे। वे जितना खुदवाते गए मूर्ति की जगह उतनी ही गहरी होती चली गई। आखिरकार उन्हें अपना यह प्रयास छोड़ना पड़ा।

6. यहां पर विराजमान हनुमानजी की सीने में एक छोटा सा छेद है जिसमें से निरंतर पानी की धारा बहती रहती है। यह जल बालाजी के चरणों तले स्थित एक कुंड में एकत्रित होता रहता है जिसे भक्तजन चरणामृत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं।

7. यहाँ प्रसाद का लड्डू खाते ही रोगी झूमने लगता है। भूत प्रेत आदि स्वयम ही उसके शरीर में आकर चिल्लाने लगते हैं। कभी वो अपना सर घुमाता है कभी जमीन पर लोटने लगता है। पीड़ित लोग यहां पर अपने आप जो करते हैं वो एक सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है। इस तरह की प्रक्रिया के बाद वह बालाजी की शरण में आ जाता है। उसे हमेशा के लिए इस तरह की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। कई गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर से बांधकर मंदिर में लाया जाता है। यहां पर आने वाले पीड़ित व्यक्ति को देखकर सामान्य लोगों की रूह तक कांप जाती है। लोग मंदिर के सामने चिल्ला चिल्ला कर अपनी अंदर बैठी बुरी आत्माओं के बारे में बताते हैं जिनके बारे में इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं रहता। भूत प्रेत ऊपरी बाधाओं को निवारण हेतु यहां पर आने वालों को तांता लगा ही रहता है। ऐसे लोग यहां पर बिना दवा और तंत्र मंत्र के स्वस्थ होकर लौटते हैं।

8. मेडिकल साइंस और शोधकर्ता ऐसी बीमारियों के इलाज के तरीकों को नहीं मानते और इसे अंधविश्वास कहते हैं लेकिन बालाजी की पूजा करने वालों के लिए आध्यात्म विज्ञान की समझ से भी परे है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दंड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग लगाया जाता है। भक्तजन प्राय तीनों देवताओं को बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाते हैं। मंदिर के बाहर आकर वो जो दो लड्डू बालाजी के भोग लगाने के बाद मिले थे वे उन्हें खा लेते हैं।

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर से एक बार बाहर निकलने के बाद पलटकर पीछे नहीं देखना चाहिए। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर कोई भूत प्रेत आत्मा के पीछे हैं तो आपके पीछे नहीं आ जाए। ये भी कहा जाता है कि अगर आपने कोई मन्नत मांगी है और वो पूरी भी हो गई है तो उसके बाद एक बार मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए।