वक्री शनि (23 मई 2021 से 141 दिन) का आपकी राशि पर प्रभाव

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वक्री शनि (23 मई 2021 से 141 दिन) का आपकी राशि पर प्रभाव
वक्री शनि (23 मई 2021 से 141 दिन) का आपकी राशि पर प्रभाव

वक्री शनि (23 मई 2021 से 141 दिन) का आपकी राशि पर प्रभाव


शनि वक्र स्थिति से हो चुके हैं। 23 मई से 141 दिन के लिए यह शनि की स्थिति रहेगी। बहुत लोग डर गए हैं, बहुत लोग उदास हो गए हैं। बहुत लोगों ने कहीं न कहीं से अपनी राशि का कुछ नकारात्मक सुन लिया है। मन में भय आ गया हैं। 28 मई सन् 2001 के दिन शुक्रवार बैसाख मास कृष्ण पक्ष संबंध 2078 तिथि द्वितीया नक्षत्र मूल राहुकाल 10 से 12 दिशाशूल पश्चिम दिशा।
कौन सी राशियां मालामाल होंगी, कौन लोग सेठजी बन जाएंगे और कौन से लोग कंगाल हो जाएंगे। सभी अपने अपने कर्मों के हिसाब से इस संसार में सुख और दुख पाते। ग्रहों की चाल अपने हिसाब से चलती रहती है। लेकिन हमारे कर्मों की जो गति वो भी ऐसे चलती रहती है। हमने जिस जन्म में कर्म किए हैं। उस कर्मों का एक एक हिसाब हमें मिलता रहता। जैसे जैसे ये ग्रह अच्छे, बुरे होते हैं और उसी तरह से हमारे कर्म जैसे अच्छे होते हैं और जैसे बुरे होते। तब उस ग्रह का इफेक्ट आता है।
23 मई से जो शनि 141 दिन के लिए वक्री हुए और ऐसा नहीं है कि कई साल के लिए हैं। करीब करीब 11 अक्टूबर तक ये स्थिति इनकी वक्री स्थिति में रहेगी। शनि अपनी राशि मकर राशि में ही चल रहे किसमें हैं। शनि ने कोई राशि परिवर्तन नहीं किया। शनि अपनी ही राशि में रहेंगे। बस स्थिति क्या होती है कि एक आदमी सीधा जब चलता, ग्रहों की सीधी चाल को मार्गी कहते हैं। ग्रह की उल्टी चाल को हम वक्री कहते हैं। गृह उसी घर में जिस घर में बैठा है है लेकिन हल्का सा उसकी चाल पर असर आ जाता है। शनि जिस गति से जिस व्यक्ति को अच्छा फल देंगे उस गति में थोड़ी सी कमजोरी रहेगी। आपकी प्रतिदिन की अपनी भक्ति, साधना वो भी तो कुछ चीज मायने रखती है। बहुत लंबे समय से बहुत लोग शनि चालीसा पढ़ते आ रहे हैं। बहुत लोग शनि की उपासना कर रहे हैं। ये भी तो मायने रखता है। कोई भी ग्रह आपको जब भी सताता है जब आपके कर्मफल कमजोर होता है और कोई भी ग्रह में तभी मालदार और दमदार बनाता है जब हमारी कर्म गति अच्छी होती है।
ग्रह बहुत बाद में हैं, उससे पहले आपको अपना कर्म। जैसा हम कर्म करेंगे हमें फल वैसा ही मिलेगा। अब ये शनि है ये मेरे लिए आपके लिए यहां के लिए वहां के लिए , पूरी कायनात के लिए, पूरी धरती के लिए, जीव के लिए प्राणी के लिए वक्री स्थिति में हो गये है।
सभी को एक सा फल नहीं मिल सकता। ये आपको मानना पड़ेगा। कोई भी ग्रह जब शुभ होता है या अशुभ होता है या अच्छी पावर का होता है तो क्या सभी राजा बन जाते हैं, नहीं।
कुछ उपाय शनि न्याय के देव हैं। प्रतिदिन की कोई पक्षियों को दाना डालता है कोई गऊ माता की रोटी खिलाता है, कोई गरीबों में फल बांटता है, कोई गरीबों की मदद करता, किसी न किसी रूप में अपने अपने तरीके से सब कुछ न कुछ अच्छा करते तो आपके ऊपर अच्छा ही होगा। 70 सेंटीमीटर नीला कपड़ा ले और। 250 ग्राम काला उड़द, सरसों का तेल ले कर के शनि मंदिर चले जाएं। और ऐसा आपको तीन महीने जाना है और 141 दिन का पड़ाव भी पूरा हो जाएगा चलेगा। हर महीने शुक्ल पक्ष के शनिवार के दिन चले जाए दिन के 12 बजे के आसपास। हर महीने के जून में जुलाई में और अगस्त में महीने में केवल एक बार। हल्का सा सरसों का तेल शनि देव के पैरों पर पंजों पर लगाएं, नमस्कार करें नमन करें,नीला कपड़े का उन्हें सोल उड़ा दें। थोड़ा सरसों का तेल का दीप जलाएं और उड़द चरणों में रख दें थोड़ा दूर को उसी के ऊपर ढेरी के ऊपर दीपक जला दें और वहीं बैठकर के 10 मिनट मंत्र का जप करें या शनि स्तोत्र पढ़ें। प्रार्थना करें कि हे शनिदेव आप हमारे ऊपर कृपा करें। शनि की आँखों से आखें कभी नहीं मिलनी चाहिए। ध्यान रखें शनि की हमेशा पैरों पर दृष्टि रखें। चरणों पर दृष्टि रखें। बस वही चरणों के दास हैं और शनि की दृष्टि ने सोने की लंका को कोयला बना दिया हो तो शनि की दृष्टि मामूली नहीं है।
जन्मपत्रिका हो हाथ की रेखाएं इसमें शनि की दृष्टि से ही बचा जाता हैं। इसलिए आँखों से आखें नहीं मिलानी है और वैसे भी हमसे जो बड़े हो जो भी हो तभी तो कहते हैं कि बड़ों से जब बात करें हमेशा आखें नीची करके ही बात करें। बड़े बड़े मंदिर बनते लेकिन मंदिरों के दरवाजे छोटे रखे जाते हैं। ताकि हम उसमें झुक के जा सकें, अकड़ के साथ न जा सकें। बहुत बातें ऐसी हमारे ऋषि बहुत पहले वो सारी चीज़ें सोच करके बना करके चले गए। हम तो वो उन्हीं की बनी बनाई बातें आपको परोस के दे रहे थे।
हर शनिवार पक्षी को मीठी रोटी खिलाऔ और हर शनिवार अपनी जो रोटी आप खाते हैं उसका प्रथम भाग हला अंश गौ माता के लिए रखो। आप अपनी दैनिक साधना उपासना बहुत अच्छे मन से करना प्रारंभ कर दीजिएगा। आपके शनि आपसे प्रसन्न रहेंगे। शनि न्याय के देव हैं अन्याय के देव नहीं है।
काला चना 700 ग्राम पानी में अच्छे से गरम पानी में उबाल लें जब उबल जाए तो जीरे का खूब अच्छे से छौंक लगाकर के किसी भी शनि मंदिर में पहले थोड़ा दोने में चढ़ा दें।